Posted inTeachers
मैं राष्ट्र के नव निर्माण का आधार हूं – By Mrs.Maya Kasumbiwal
मैं राष्ट्र के नव निर्माण का आधार हूं मैं.... मैं किसान नहीं हूं पर...पर मैं उसकी परछाई हूं मैं भी खेती करती हूं..... मानव की रोपती हूं छोटे- छोटे , नन्हें बीज मानवता के और सींचती हूं रोज़... संवेदनाओं संग आस और विश्वास की झारी से रोज़ छिड़कती स्नेह कठोर हो खुरपी भी चलाती हूं संवेदना के अनुशासन संग और सिंचित करती हूं नन्हें- नन्हें संस्कारों को। पर....पर सच कहूं? नहीं थोपना चाहती बड़े- बड़े कठोर उपदेशों को डरती हूं ... कहीं डर…